जीवन आनन्द -अनुभूति है। अनन्त प्रवाह है। नित्य प्रेरणा है। चिर नवीन है। कर्म ,क्रिया और कृत्य तीनों है। यात्रा , गमन , गति और गंतब्य , सभी कुछ है। दर्शन, दृष्टि , दृश्य , दर्शनीय यही है। भाव , भावना ,ध्यान , ध्यातब्य , ध्येय , ज्ञान ,ज्ञातब्य ,ज्ञेय -बस यही जीवन है जो निरन्तर नवीन सदा प्रवाहमान ही रहता है।
यह आज या कभी न रुका है , न रुकेगा , न नष्ट कभी हुआ है , न कभी होगा- यह शाश्वत है , रहेगा।
प्रवाह ही जीवन है।
यह आज या कभी न रुका है , न रुकेगा , न नष्ट कभी हुआ है , न कभी होगा- यह शाश्वत है , रहेगा।
प्रवाह ही जीवन है।
No comments:
Post a Comment