Thursday, 4 June 2015

आपकी दुआओं की जरुरत उसे भी पड़ती है जो कलकत्ते में फोच्का बेचता है , महीने में पेट काट कर दो चार  हजार रूपये घर भेजा  रहता है और जब थकने के बाद वापस घर -गाँव आता है तो पता चलता है मकान में उसका नाम नहीं , जमीन में उसका नाम नहीं , वोटर लिस्ट में उसका नाम नहीं और तो और उसी गाँव का मुखिया भी कहता है की वह तो २५  साल पहले ही मर गया है -यह देखो उसके नाम का डेथ सर्टिफिकेट। ……
आपके गाँव को उसने भी ३० साल कलकत्ते कमा कर पूरे अपने परिवार को पाला , मकान दिया , परिवार ने दो-चार बिगहा जमीन भी ली - पर उसे अंत में क्या मिला - कभी सोचा।
उसे तो कचहरी , मुकदमा और उपनों की उपेक्षा -ईर्ष्या ही मिलती है। 

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