कहानी यहीं खत्म नहीं होती . कहानी कभी खत्म नहीं होती ,बस पात्र बदलते रहते हैं , अध्याय दर अध्याय कहानी आगे बढ़ती रहती है.
कभी मेरी कहानी , कभी तुम्हारी कहानी ,कभी उसकी. कभी मेरी जुबानी , कभी उसके कहे , कभी किसी के कहे या सुने .
प्रसंग, पात्र, वाचक , श्रोता, समय , परिस्थिति बदलती रहती है , पर मूूल कहानी वही रहती है, - हारते-जीतते , लड़ते-झगड़ते आगे बढ़ते जाना है.सीखने- सीखाने का उत्साह बने रहना चाहिये . सीखते- सिखाते रहिये - उपर और आगे बढ़ने का मन बनाये रखिये.
वैसे कुछ भी पीछे नहीं लौटता. खुद ब खुद आगे ही बढ़ता है.
कभी मेरी कहानी , कभी तुम्हारी कहानी ,कभी उसकी. कभी मेरी जुबानी , कभी उसके कहे , कभी किसी के कहे या सुने .
प्रसंग, पात्र, वाचक , श्रोता, समय , परिस्थिति बदलती रहती है , पर मूूल कहानी वही रहती है, - हारते-जीतते , लड़ते-झगड़ते आगे बढ़ते जाना है.सीखने- सीखाने का उत्साह बने रहना चाहिये . सीखते- सिखाते रहिये - उपर और आगे बढ़ने का मन बनाये रखिये.
वैसे कुछ भी पीछे नहीं लौटता. खुद ब खुद आगे ही बढ़ता है.
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