एक बार और आँख को फिर से समंदर बन जाने दे , ऐ मेरे मीत।
जाने अभी और कितने सपनों को नई गहराई की तलाश बाकी हो
समन्दर को एक बार और फिर से उफ़न जाने दे , ऐ मरे मीत '
न जाने अभी कितने गमों को डूबने या बहने की हसरत बाकी हो
समन्दर को वापस फिर से दरिया तक लौट आने दे, ऐ मेरे मीत
जाने कितनी नीलाभ शबनम में अनन्त -मिलन की आश बाकी हो
इस डोंगी को बस एक बार फिर से समन्दर में उतार , ऐ मेरे मीत
जाने किसे अभी भी फिर से खोज लिए जाने का ज़ज्बा बाकी हो
जाने अभी और कितने सपनों को नई गहराई की तलाश बाकी हो
समन्दर को एक बार और फिर से उफ़न जाने दे , ऐ मरे मीत '
न जाने अभी कितने गमों को डूबने या बहने की हसरत बाकी हो
समन्दर को वापस फिर से दरिया तक लौट आने दे, ऐ मेरे मीत
जाने कितनी नीलाभ शबनम में अनन्त -मिलन की आश बाकी हो
इस डोंगी को बस एक बार फिर से समन्दर में उतार , ऐ मेरे मीत
जाने किसे अभी भी फिर से खोज लिए जाने का ज़ज्बा बाकी हो
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