Judicial discussion by R . K . Rateria
Friday, 5 June 2015
वह बस एक उम्मीद के सहारे जीता चला गया , परवाह नहीं जीत या हार की , बस उम्मीद के सहारे लड़ता चला गया। उम्मीदों से भी लड़ता रहा , उसी उम्मीद के ही सहारे , नाउम्मीदी को हराने की उम्मीद लिये हर फ़िज़ा से लड़ता रहा।
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