मैंने अपने ५८ साल के जीवन में सुक्षमातिसुक्ष्म विचार की उर्जा को महसूस किया है .प्रतीत होता है कि विचार जितना
सूक्ष्म होगा ,उर्जा भी उतनी ही सूक्ष्म होगी तथा उर्जा जितनी सुक्ष्म होगी उतनी ही तीक्ष्ण होगी ,जितनी तीक्ष्ण होगी उतनी ही शुद्ध भी होगी .
सूक्ष्म होगा ,उर्जा भी उतनी ही सूक्ष्म होगी तथा उर्जा जितनी सुक्ष्म होगी उतनी ही तीक्ष्ण होगी ,जितनी तीक्ष्ण होगी उतनी ही शुद्ध भी होगी .
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