क्या खो दिया अभी अभी
मजबूरियाँ खोई अब तक क्यों नहीं
मजबूरियों की क्या कोई उम्र नहीं होती
पीढ़ी दर पीढी चलती ही जाती है , क्यों
क्या खून नहीं , केवल पानी ही है
क्या सांस नहीं ,केवल हवा भर ही है
हिम्मत नहीं ,बस देह भर ही है
सोचो जरा , दिमाग में इतना भर ही है
कब आओगे बाहर अस्पताल से
आई सी यु में घर नही बनाया करते
सडसठ साल यूँ सोये सोये गुजरा
क्या हमारा वजूद इतना भर ही है .
मजबूरियों के हाथो यूँ नहीं बिका जाता
हार के सामने यूँ घुटने नहीं टेके जाते
बाहर तो आओ ,उतर तो फेंके
मजबूरियां यूँ नहीं ओढ़ी जाती .
मजबूरियाँ खोई अब तक क्यों नहीं
मजबूरियों की क्या कोई उम्र नहीं होती
पीढ़ी दर पीढी चलती ही जाती है , क्यों
क्या खून नहीं , केवल पानी ही है
क्या सांस नहीं ,केवल हवा भर ही है
हिम्मत नहीं ,बस देह भर ही है
सोचो जरा , दिमाग में इतना भर ही है
कब आओगे बाहर अस्पताल से
आई सी यु में घर नही बनाया करते
सडसठ साल यूँ सोये सोये गुजरा
क्या हमारा वजूद इतना भर ही है .
मजबूरियों के हाथो यूँ नहीं बिका जाता
हार के सामने यूँ घुटने नहीं टेके जाते
बाहर तो आओ ,उतर तो फेंके
मजबूरियां यूँ नहीं ओढ़ी जाती .
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