Wednesday, 27 August 2014

आज याद पड़ता है ,तो सारी चीजें एक एक कर स्पष्ट हो रही है .
बताया गया था की १९६२ के आस पास मेरे मामा की शादी हुई ,उस वक्त मैं ५/६ साल का  होऊंगा  और शायद मैनें अपने पिता जी को कहा था की मैं आप्कोअपने मामा की बारात में नहीं ले जाऊंगा .उस पर मेरे पिताजी ने पूछ था-क्यों .  तो मैनें कहा थ कि आप्मुझे क्या अपनी बारात में ले गये थे क्या .
नही कह सकता यह कहाँ तक सही है .,या प्रोम्प्तेड है . या था .
बातें और भी याद पड़ती है .
कलकत्ते के मछुआ बाजार में बांगर बिल्डिंग के पीछे दिगम्बर जैन शिक्षालय में मुझे पढने के लिये भेजा गया था .बताया जता है किकुछ ज्यादा ही आक्रामक हुआ करता था .आरम्भिक समय में कुशाग्र बुद्धि थ या नहीं , यहं तो मुझे आज तक किसी  ने बताया न हीं मुझे कुछ याद है .

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