सभ्यता , विकास ,ज्ञान ,विज्ञानं जो कुछ भी है वह पहले की पिढ़ी के द्वारा चली गई दूरियाँ ही तो है , उनका यश -अपयश , हानि -लाभ , जीवन -मरण , खोया-पाया , संभाला -रखा , खाया-उड़ाया , समझा -समझाया , बूझा -बुझाया , देखा -दिखाया ,बनाया -बनवाया , लिखा -लिखवाया ; यही सब तो है हमारी सभ्यता, संस्कृति और संस्कार।
इसका भला बुरा तो हमें ही भोगना पड़ेगा।
इसका आनन्द भी है ही और कष्ट , भोग भी।
इसमें एक नया अध्याय यों तो स्वतः जुड़ता ही रह्ता है , पर यत्न पूर्वक नया अध्याय जोड़ने का काम अत्यंत कठिन है , अतिरिक्त दायित्व है।
पहले की पीढ़ी का चला ,गला या गलाया आगे के अनुभवों क मार्ग तो प्रसस्त कर्त्ता ही है। सावधान होकर आगे चलना आपका काम है।
हाँ , कभी कभी इतिहास दर्द दिये जाता है और यह दर्द नई यात्रा के दौरान नहीं चाहते हुए भी सार्वजनिक हो ही जाता है , सहानुभूति बटोरने के लिये नहीं पर स्वयं को अतिरिक्त आत्मविश्वास देने के लिये।
इसका भला बुरा तो हमें ही भोगना पड़ेगा।
इसका आनन्द भी है ही और कष्ट , भोग भी।
इसमें एक नया अध्याय यों तो स्वतः जुड़ता ही रह्ता है , पर यत्न पूर्वक नया अध्याय जोड़ने का काम अत्यंत कठिन है , अतिरिक्त दायित्व है।
पहले की पीढ़ी का चला ,गला या गलाया आगे के अनुभवों क मार्ग तो प्रसस्त कर्त्ता ही है। सावधान होकर आगे चलना आपका काम है।
हाँ , कभी कभी इतिहास दर्द दिये जाता है और यह दर्द नई यात्रा के दौरान नहीं चाहते हुए भी सार्वजनिक हो ही जाता है , सहानुभूति बटोरने के लिये नहीं पर स्वयं को अतिरिक्त आत्मविश्वास देने के लिये।
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