Monday, 26 May 2014

बस चौबीस घंटा सातों दिन  न्याय के ऑटोमेटेड आउटलेट  खोल दो भगवन ,अबकी बार तो मेहरबानी कर दस लाख पर पचास इमानदार  मेहनती चतुर त्वरित न्यायाधीश भेज  भगवन .

राजा ,रानी ,महारानी , सेठ ,महासेठ,जे.एन यु -बुद्धिजीवी ,हार्वर्ड ज्ञानी -कम से कम वास्तविक जमीन को शिखर तक उपर उठते देख एक बार आशंकित तो हैं ही -
हाँ लाल बहादुर जहाँ भी होंगे खुश  होंगे
झाड़ू पोंचा करने वाले ,सेवा टहल करने वाले ,सडक किनारे के निरीह लोग और अपना भविष्य तलाशने  वाले युवक सब कुछ समझ कर हिम्मत तो बांधेंगे  ही -
बड़ी सफर का बहुत कुछ अनकहा भी होता है .
मेरी अपनी आशा है की लम्बी यात्रा के अनुभव ,प्रिय,कटु  अप्रियतम अनुचित या अनैतिक जो कुछ हो उसे कोई आगे बढ़ बता देता ,आम कर देता ताकि बहुत  से लोग निराशा से अपने आप को उठाने की कोशिश तो करते .
अभी भी बहुत है जो कुछ किया जाना है ,नई नींव डाली जानी है ,पुराने रास्तों की आपादमस्तक सफाई , छान बीन तथा स्ट्रिम्लाईनिंग की जानी है

No comments:

Post a Comment