Thursday, 22 May 2014

मैं गोमुख या कि गंगोत्री नही हूँ ,मैं केवल गंगा हूँ

आज और अभी अभी जाना है ,अनजाने में ही जान गया हूँ
की मैं मात्र गंगा हूँ ,बहना और बहा ले जाना ही मेरी नियति है

गोमुख , गंगोत्री ने मुझे अपने प्रभाव से विवश कर दिया है
और अब मैं मात्र गंगा हूँ , मुझे बस बहना या बहाना भर है ,

मुझ में क्या, क्यों ,कब कैसे बहेगा ,यह तक मैं नहीं जानती ,
मुझे कितना , कैसा ,कहाँ तक बहा ले जाना है ,नहीं जानती .

मै तुम्हारी सुबह से रात तक की तमाम क्रियायों की सारथी
कब मैनें श्रोत बनने का प्रयास किया है मैं सतत निहारती .

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