आज फिर वह दर्द याद आ रहा है
पलकों के पीछे छिपा , अब बहा जा रह है
दर्द का कर्ज , बहुत हुआ ,अब नहीं सहा जा रहा है
उस याद को फ़िर याद कर , अब नहीं रहा जा रहा है
पलकों के पीछे छिपा , अब बहा जा रह है
दर्द का कर्ज , बहुत हुआ ,अब नहीं सहा जा रहा है
उस याद को फ़िर याद कर , अब नहीं रहा जा रहा है
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