Tuesday, 27 May 2014

आपको केवल आपकी अपनी थाली में परोसी गई खाने की चीजों में से भी उन्हीं चीजों का स्वाद पता चलता है जिन्हें आप खाने का उपक्रम करते हैं .
आपको केवल अपनों से ही वास्तविक प्रेम ,डांट , निंदा , प्यार ,प्रोत्साहन ,उद्दीपन ,प्रेरणा ,उत्तेजना ,सलाह ,सहायता ,सहारा  मिलता है ,क्योंकि वे आपके हैं , दूसरों से मिली इन्हीं चीजों से सदैव अधिक सुरक्षित तथा ग्राह्य ,गुणकारी .
अपनों को बर्दास्त करें ,तब भी जब बर्दास्त नहीं कर पा रहे हों . अपने अपने ही होते हैं - लगभग प्रमाणित शुभचिंतक - खासकर यदि वे आपके माता पिता हों .
माता पिता के सामने अपने अहंकार का त्याग ही भला .माता पिता के सामने क्या मान क्या अपमान .
अपनों के साथ अपनों की तरह घुला मिला ही सही .

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