Monday, 5 May 2014

राजमुकुट के लिये भी अपने आप से समझौता नहीं ,अपनी शांति से विनिमय नहीं , अपने मूल्यों का त्याग नहीं . राजमुकुट कभी स्थायी मान्यता नहीं दिला सकता .अपना विवेक,अपनी उपादेयता , उपयोगिता , जो समाज को समर्पित कर दी जाये वही समाज से स्वीकृति ,मान , सम्मान दिला सकती है -स्वार्थ और शक्ति नहीं 

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