Sunday, 6 April 2014

पचपनों का बचपना सपना
सपनो में पलता बचपना

सपनों ने जो आँख खोली तो
सारा नभ दिखा इस झोली में

आज पंख खोल उड़ेंगे सपंने
खुल जायेंगे अपनों के अपने

खुलते अपने ,खोलते अपने
अपनों के संग झूलते सपने

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