Friday, 18 April 2014

क्या मेरे पोस्ट शब्द वेधी है ? क्या लक्ष्य निर्धारित कर मैं अपनी बात कहते आया हूँ?

सच तो यह है -जाकि रही भावना जैसी- मेरी कही पढ़ी तिन तैसी -
मैं पढ़े पढाये बिना नहीं रह सकता - लिखे -लिखाये बिना नहीं रह सकता -
जी में आया बस लिख डाला ,आप पढ़े या न पढ़ें -आपकी मर्जी ,आप मुझे ब्लोक भी कर सकते हैं .
आप में से कुछ ने अभी तक पढना बंद नहीं कर दिया,यही आभार -

मैं सार्थक होने तक का दावा नहीं करता ,
सन्दर्भ का तो प्रश्न ही नहीं ,
मेरी कोई बात लक्ष्य निर्धारित नहीं रही है , आगे भी कभी नहीं होगी .

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