नई पीढ़ी के लिये रोज नई निम्बू मिर्ची का फुदका बना कर रोज मन्दिर पर लटका आता हूँ
मनाता हूँ इन नये पत्तों को तेज झड़क कहीं से भी कभी भी न लग जाये .जानता हूँ की इन्हें और बहुत कुछ चाहिये , मैं इन्हें शायद वह नहीं दे सकता जो मेरे पास था ही नहीं
पर इन पर मेरा भरोसा आज भी है ,आगे भी रहेगा
यह वह पीढ़ी है जो अपने आप पर भरोसा कर वह सब हासिल करेगी जो इन्हें चाहिये.
हर सुबह अपने बूते ही तो शाम तक पहुँचती है
भोर होने के पहले ही दीयों ने इनका साथ छोड़ दिया था
अनंत चिड़ियों की उछल कूद ,चहचाहट की रक्षा ,अनंत घोंसलों का निर्माण ,हर दिन हो ही रहा है ;यह सब ये अपने बूते कर लेते ही हैं ,
मैं तो बस नई पीढ़ी के लिये रोज नई निम्बू मिर्ची का फुदका बना कर रोज मन्दिर पर लटका आता हूँ
मनाता हूँ इन नये पत्तों को तेज झड़क कहीं से भी कभी भी न लग जाये .जानता हूँ की इन्हें और बहुत कुछ चाहिये , मैं इन्हें शायद वह नहीं दे सकता जो मेरे पास था ही नहीं
पर इन पर मेरा भरोसा आज भी है ,आगे भी रहेगा
यह वह पीढ़ी है जो अपने आप पर भरोसा कर वह सब हासिल करेगी जो इन्हें चाहिये.
हर सुबह अपने बूते ही तो शाम तक पहुँचती है
भोर होने के पहले ही दीयों ने इनका साथ छोड़ दिया था
अनंत चिड़ियों की उछल कूद ,चहचाहट की रक्षा ,अनंत घोंसलों का निर्माण ,हर दिन हो ही रहा है ;यह सब ये अपने बूते कर लेते ही हैं ,
मैं तो बस नई पीढ़ी के लिये रोज नई निम्बू मिर्ची का फुदका बना कर रोज मन्दिर पर लटका आता हूँ
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