अपनों की गलतियाँ माफ़ कर देना अपनापन नहीं है , अपने आप को अपनों की गलतियों के लिये जिम्मेदार सनझ उसके दंड में स्वयं को भागीदार बना लेना ,उसका प्रायश्चित करना ही अपनापन हैं - हमारे पापों में से कितने पाप की सजा हमारे माता -पिता ने,: हमसे आपसे अधिक भोगी है ; और यही अपनापन है
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