Friday, 11 April 2014

मैं तो अंजलियों में पानी भरे घूमता रहूँगा ,शायद कहीं कोई बीज मिल जाये ,मेरे चार बार पानी देने के प्रयास् से  शायद नया जीवन संभव हो ही जाये .
कहीं कोई मुरझा रहा पौधा मेरे प्रयास से बच ही जाये .
कहीं कोई प्यासा मुझे मिल ही जाये और मेरे द्वारा लाये पानी को स्वीकार कर अपनी अगली यात्रा के लिये दुबारा हिम्मत बांध तैयार हो ही जाये .
मुझे मेरी हथेलियों पर एक दीप जलाये घुमने दो ,शायद गहरी रात के अन्धेरें में कोई  एक ही सही ,अपने आप को किसी ठोकर से बचा सके .
रुको ,मैं अपने आप को खोल कर तुम्हारे सामने रख डालता हूँ , शायद मेरी यात्रा के विवरण से तुम कुछ निर्णय अपने विवेक से ले सको .
मेडिकल कालेज के एनाटोमी सेक्सन में मेरे ही जैसों का शारीर ही तो पड़ा है , जिसके माध्यम से तुम कुछ सीखते हो .
जीवन यात्रा में कुछ सीखने के लिये चाहो तो मेरा अपनी मन मर्जी से प्रयोग करो ,हो सकता है तुम्हे कुछ सीखने , जानने को मिल ही जाये .  

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