जो सुरक्षित स्थान पर पहुँचने में एक बार सफल हो जाते हैं ,वे शीघ्र ही पिंगल पढ़ने लगते हैं।
सुरक्षित स्थान तक पहुँचने का उनका यात्रा वृतांत जान जाये कोई ,ऐसा तो हो ही नहीं सकता।
फिर पीछे रह गए लोगों को अपमानित करना ही उनका शगल रह जाता है।
दूसरों को मिला अपमान या उनके द्वारा दी गयी पीड़ा ही उनके अहं की स्वाभाविक खुराक होती है।
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