Monday, 28 April 2014

जैसे ही मुझे तुम्हारी एक और कमजोरी का पता चल जाता है , मेरा आत्मविश्वास बढ़ जाता है। 
और जब तक तम्हारी कमजोरियाँ सामने नहीं आ पाती  है तो और तब तक  मै तुमसे घृणा ,ईर्ष्या करते हुए श्रद्धा का ढोंग करता हूँ क्यों की मैं तुमसे डरा हुआ होता हूँ। 
तुम्हारे और मेरे बीच यही दुरी है , यही डर है , और मैं स्वयं को महान बनाये रखने के लिये  यह दुरी , भ्रम बनाये रखना चाहता हूँ ताकि  मेरे बारे में सही सही तुम जान न जाओ। 
मैं तुम्हें कभी यह नहीं जानने दूंगा की मूलतः तुम और मैं एकदम से हू  बहू  हैं।
जीतनी भी और जैसी भी कमजोरियां तुममें है , वे सभी कमोबेस मेरे में भी हैं।
पर मैं तुम्हे य्ह् जानने  नहीं दूंगा , यदि तुम जान गये तो मेरी महानता खतरे में पड़ जाएगी !
मेरे प्रति सदा श्रद्धावनत रहो -चाहे किसी भी शर्त पर .

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