मरीज से बीमारी के लक्षण पूछ लीजिये , जाँच कर - करा लीजिये , पर बीमारी का निर्धारण तो डाक्टर को ही करना होगा .
दवा भी डाक्टर को ही बतानी होगी .
दुर्भाग्य से आई पी फिल्ड में एक्सपर्ट अभी ऐसा नहीं कर पा रहें हैं क्यों की वे स्वयं टेक्नीकल फिल्ड में कच्चे हैं -
वे आविष्कारक जैसा बताते हैं वहीं तक सिमित रह जाते हैं एक्सपर्ट को स्वयं पेटेंट योग्य सामग्री खोजनी होती है , नोवेल्टी खोजनी चाहिये ,आविष्कारक को सजेस्ट करना चाहिये , पेटेंट योग्य बनाने के लिये मोडुलेट भी करना पड़ सकता है , यह पूरी रणनीति हो है - इस ओर तो ध्यान देना ही होगा - आई पी एक्सपर्ट पैसिव नहीं रह सकता , उसे प्रो एक्टिव होना ही होगा .
दवा भी डाक्टर को ही बतानी होगी .
दुर्भाग्य से आई पी फिल्ड में एक्सपर्ट अभी ऐसा नहीं कर पा रहें हैं क्यों की वे स्वयं टेक्नीकल फिल्ड में कच्चे हैं -
वे आविष्कारक जैसा बताते हैं वहीं तक सिमित रह जाते हैं एक्सपर्ट को स्वयं पेटेंट योग्य सामग्री खोजनी होती है , नोवेल्टी खोजनी चाहिये ,आविष्कारक को सजेस्ट करना चाहिये , पेटेंट योग्य बनाने के लिये मोडुलेट भी करना पड़ सकता है , यह पूरी रणनीति हो है - इस ओर तो ध्यान देना ही होगा - आई पी एक्सपर्ट पैसिव नहीं रह सकता , उसे प्रो एक्टिव होना ही होगा .
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