खुद के बंधन से खुद और खुदी को आजाद तो करो ,सब कुछ आजाद हो जायेगा ,कुछ भी बोझ नहीं रह जायेगा .
मैं मेरा भार स्वयं हूँ और मैनें अपने आप को ही अपने से इस प्रकार बांध लिया है , की सब कुछ बंधा बंधा सा लगता है .बस मुझे अपने आप से ही अपने आप को मुक्त करवाना है .
इस मुक्ति तक पहुंचना ही पुरुषार्थ है .
मैं मेरा भार स्वयं हूँ और मैनें अपने आप को ही अपने से इस प्रकार बांध लिया है , की सब कुछ बंधा बंधा सा लगता है .बस मुझे अपने आप से ही अपने आप को मुक्त करवाना है .
इस मुक्ति तक पहुंचना ही पुरुषार्थ है .
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