स्कूलों में बचपन संवरता जा रहा है
बचपना धीरे से सरकता जा रहा है।
अंजाना सा कुछ चमकते जा रहा है
हर घूंट में कुछ अटकते जा रहा है।
स्कूल से निकला बचपन अब कहाँ।
बचपना धीरे से सरकता जा रहा है।
अंजाना सा कुछ चमकते जा रहा है
हर घूंट में कुछ अटकते जा रहा है।
स्कूल से निकला बचपन अब कहाँ।
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