सेसन्स कोर्ट की जन मानस में मर्यादा को खंडित करने का प्रयास पूरी न्याय व्यवस्था पर समाज के अखण्ड विश्वास के साथ खेलने का कुत्सित षडयंत्र है , नासमझी है.
- प्रत्येक शिक्षा नर्सरी से ही शुरू होती है.
-इस समाज के ९८ % लोग न्याय के लिये सेसंस कोर्ट को ही अपनी अंतिम आश मानते हैं .
डाक्टरेट वाली थीसिस पुस्तकालयों की ही शोभा होती है .
हम सब तो " दी सोलिटरी रिपर , फूल की चाह , आनंद मठ " में ही मग्न हैं
------ जो करना हो करते रहना , हमारे आस्था की संस्थाओं को अपने खेल की वस्तु तो मत बनाओ.
-----वैसे हमारी आस्था की संस्थाओं को तूम बड़े डाक्टरेट वालों ने अपने व्यवसाय की वस्तु तो बना ही लिया है
--- उससे आगे तो बाज आओ
---- न्यायिक व्यवस्था के प्रति हमारी श्रद्धा का आदर जिन्दा रखो -- प्लीज !
- प्रत्येक शिक्षा नर्सरी से ही शुरू होती है.
-इस समाज के ९८ % लोग न्याय के लिये सेसंस कोर्ट को ही अपनी अंतिम आश मानते हैं .
डाक्टरेट वाली थीसिस पुस्तकालयों की ही शोभा होती है .
हम सब तो " दी सोलिटरी रिपर , फूल की चाह , आनंद मठ " में ही मग्न हैं
------ जो करना हो करते रहना , हमारे आस्था की संस्थाओं को अपने खेल की वस्तु तो मत बनाओ.
-----वैसे हमारी आस्था की संस्थाओं को तूम बड़े डाक्टरेट वालों ने अपने व्यवसाय की वस्तु तो बना ही लिया है
--- उससे आगे तो बाज आओ
---- न्यायिक व्यवस्था के प्रति हमारी श्रद्धा का आदर जिन्दा रखो -- प्लीज !
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