Saturday, 22 March 2014

सेसन्स कोर्ट की जन मानस में मर्यादा को खंडित करने का प्रयास पूरी न्याय व्यवस्था पर समाज के अखण्ड विश्वास के साथ खेलने का कुत्सित षडयंत्र है , नासमझी है.
 - प्रत्येक शिक्षा नर्सरी से ही शुरू होती है.
-इस समाज के ९८ % लोग न्याय के लिये सेसंस कोर्ट को ही अपनी अंतिम आश मानते हैं .
 डाक्टरेट वाली थीसिस पुस्तकालयों की ही शोभा होती है .
 हम सब तो " दी  सोलिटरी रिपर , फूल की चाह , आनंद मठ " में ही मग्न हैं
 ------ जो करना हो करते रहना , हमारे आस्था की संस्थाओं को अपने खेल की वस्तु तो मत बनाओ.
 -----वैसे हमारी आस्था की संस्थाओं को  तूम  बड़े डाक्टरेट वालों ने अपने व्यवसाय की वस्तु तो बना ही लिया है
--- उससे आगे तो बाज आओ
---- न्यायिक व्यवस्था के प्रति हमारी श्रद्धा का आदर जिन्दा रखो -- प्लीज !

No comments:

Post a Comment