Sunday, 23 March 2014

आपके प्रति मेरी श्रद्धा का जिम्मेवार मैं हूँ ,एकतरफा है , कभी एकलब्य की भी थी ,मैं अपनी श्रद्धा का निर्वहन स्वयं करूँगा ,आपके अन्दर के शिक्षक तत्व ,पढने ,पढ़ाने के उत्साह से यदि मैं प्रेरणा ले लेता हूँ तो मेरी अपेक्षा रहेगी कि आप मुझे कम से कम अलग नहीं करेंगें -वैसे भी इस पक्की उम्र में इतने सामाजिक व् लोक पदों का भार  शायद आप जैसे मनीषियों से प्राप्त उर्जा से ही निभा सकता हूँ.प्रेम भरा आग्रह है कि FB के इस अनजान मित्र कोकिसी प्रकार उसकी एक्ताफा श्रद्धा के साथ आगे बढ़ लेने दीजिये .सादर

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