Saturday, 22 March 2014

ऐ शब्द -भाव के नित्य प्रवाह
, बहते रहना ,अविरल ,
जाने कब किस पथिक को
विश्राम की चाह हो ,
 या कब अभीतक शेष
 प्यास बाकी हो
और
 वह तुमसे मेरी ही तरह मिल जाए

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