Saturday, 22 March 2014

कच्चा आम ,इमली शब्द तो हैं
पर इनको बोलते समय कितनों को खट्टा खट्टा कुछ लगने लगता है
क्या गाँधी ,इस देश का या सरहदी
साऊथ अफ्रीका का या आज का
बोलते समय कितनों को कुछ लगने या होने लगता है
निज़ाम एक नाम "शब्द" तो है
पर इस नाम को बोलते समय कितनों को ज्वेलरी दिखने  लगती है
कुछ इसी तरह के नाम है -पद्मनाभम नंदिर ,तिरुपति और अन्य
बस नाम लो ,बस इतना ही काफी है .
शायद भगत,बटुकेश्वर ,सुखदेव ये नाम ही काफी है
कुछ कुछ होने के लिये ,कुछ उबलने के लिये.

और जिसने दी थी गवाही उसका नाम
आधी नई दिल्ली जिसकी हुआ करती थी उसका काम
मूल्यों को सरे बाजार नीलाम कर देने लिये काफी नहीं है .
यदि मैं लाल का बेटा ,गाँधी का पोता हो कर गर्व करता हूँ
तो उस गवाह ठेकेदार का बेटा होने पर मुझे पद्मविभूषण  क्यों
क्या सचमुच मैं इतना ही महान था
या यह सब मेरी बहुत महंगी शराब के कारण था
या उस कच्चे गोश्त के कारण जिसका मैं मरने तक शौक़ीन था
यह सब शोहरत मुझे इसी कारण या गवाह ठेकेदार आधी दिल्ली के मालिक के कारण
मुझे याद  है मैंने यह सब तुमसे खूब बांटा था .

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