Saturday, 29 March 2014

पढ़ने के लिये तो यह सब कुछ पसरा पड़ा है , आँखें खोल कर इत्मिनान से जी भर देख भर लो- पढाई हो गई .
पढ़ाने के लिये , खुद पर भरोसा कर खुद को पूरी तरह से खोल भर दो , पूरी युनिवेर्सिती  तैयार है ,लाइब्रेरी के साथ दूसरों के पढ़ने के लिये .
पढ़ने -पढ़ाने का यही तरीका है .

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