अब मंडलियों में नही होता कीर्तन
नमाजियों की भी कहाँ मिलती जमात .
अब तो समूह में खोले जाते हैं नाड़े
वारदात के बाद पूछते हैं , उद्घाटन किसने किया था .
एक मोमबत्ती जला ली , चार कदम सडक पर चल दिए
चलो विरोध तो हो गया , मेरे साथ कैंडल लाईट डिनर हो जाये .
चक्का है तो घूमेगा ही , क्या तुमने आखिरी कैंडल जलाई थी
अब औरों को भी तो मौका मिले कैंडल लाईट मार्च का .
नमाजियों की भी कहाँ मिलती जमात .
अब तो समूह में खोले जाते हैं नाड़े
वारदात के बाद पूछते हैं , उद्घाटन किसने किया था .
एक मोमबत्ती जला ली , चार कदम सडक पर चल दिए
चलो विरोध तो हो गया , मेरे साथ कैंडल लाईट डिनर हो जाये .
चक्का है तो घूमेगा ही , क्या तुमने आखिरी कैंडल जलाई थी
अब औरों को भी तो मौका मिले कैंडल लाईट मार्च का .
No comments:
Post a Comment