Saturday, 22 March 2014

अपनी तमाम कमजोरियों को जानते हुए भी अपनी प्रतिभा , क्षमता ,योग्यता पर भरोसा करना , उसी का संवर्धन करते रहना ,यही सच्चा पुरुषार्थ है .
केवल अपनी कमजोरियों पर सदैव लज्जित होते रहने से कुछ होना तो है नहीं .
आपकी जो भी प्रतिभा है वह भी उचित  पोषण के अभाव में धीरे धीरे कुंद हो जाएगी .
अपनी प्रतिभा ,क्षमता पर अधिक ध्यान दे .उसे निरंतर मान्जिये ,सान -धार चढ़ाइए ,चमकाइये , नई बुलंदियों तक पहुंचाइए .
----------    जो चल दिए उनके जीवन से सीखने  के लिये बहुत कुछ है , अपनी कमजोरियों को अपनी कमजोरी ही नहीं बने रहने दें -- अपनी प्रतिभा की सबोर्डिनेट की तरह उन कमजोरियों को जी लेने दे .पर अपनी प्रतिभा को इतना तो प्रखर बना ही लें की जब लोग आपके बारे में बात करे तब आपकी प्रतिभा के बारे में बात करने को विवश हो जाएँ.

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