मुँह कहाँ , कब ,कितना और क्यों खोलना है ,इतना सा जान जाओ तो आधी शिक्षा और दीक्षा दोनों हो गई ,समझो .
किसके सामने खोलना है ,किसके सामने बंद रखना है ,यही तो जानना है .
कब कोई कहे तब भी खोलना नहीं ,और किसी के कहने से ,डर से भी कब बंद रखना नहीं . बस यही तो सीख लेना है
किसके सामने खोलना है ,किसके सामने बंद रखना है ,यही तो जानना है .
कब कोई कहे तब भी खोलना नहीं ,और किसी के कहने से ,डर से भी कब बंद रखना नहीं . बस यही तो सीख लेना है
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