Saturday, 5 April 2014

खुदा का शुक्र है  या ईश्वर की कृपा , यह तो नहीं कह सकता पर आज अच्छा लग रहा है की मैं झुका तो नहीं ही हूँ , तोड़ने का दम्भ भरने वाले अब यह आभाष लेते होंगे ,भले , पर मैं न झुका , न मैंने अपने हाथ गंदे किये , न ही मन ,बुद्धि गन्दी होने दी , मैंने गन्दगी का  साथ नहीं  दिया , बच्चियों की इज्जत से उन्हें खेलने नहीं दिया , बच्चों के सपनों को कोई हानि नहीं पहुंचा सका , नये बच्चों के माता-पिता के आशीर्वाद ने उन ३२० बच्चों के मान -सम्मान ,शील की रक्षा की - मैं परम संतुष्ट हूँ - मेरे बच्चों सदा सानन्द रहना , अखंड यश के साथ रहना .

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