Friday, 4 April 2014

लहरों की खेती करूँगा मैं
आग को माला में गुथुंगा
हवा के ताने -बाने बुनता मैं
नभ की नीली चादर निचे बिछाऊंगा .

पेड़ों पर नाचता फिरूंगा मै
मछलियों को नाचाऊंगा
पर्वत शिखर पर तैरता मैं
हिरण,खरगोश , मोर  तैराऊंगा .

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