Friday, 27 September 2013

सुन्दर, सार्थक, सामयिक एवं बेहद व्यक्तिगत- कैसे कर पाते हैं आप यह आश्चर्यजनक आनुपातिक मिश्रण- अद्भुत् रचना कौशल, , बहुत छोटी सी रचना में भविष्य के हिन्दी लेखन की एक नई विधा के बीज देख पा रहा हूँ

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