प्रश्न खड़े करना सीखो। प्रश्नों को सलीके से पूछना सीखो।
प्रश्न दागना एक कला है। सामने वाले के सामने प्रश्न को शान्ति से रख भर देना, फिर प्रतिक्रिया का इन्तजार, बस यही तो सीखना है।
प्रश्न पहचानना भी कला है। प्रश्नों का संभालना भी कला है। जाने कब किस प्रश्न का जबाब कहाँ मिल जाये।
सभी प्रश्नों का जबाब तत्काल न तो दिया जा सकता हैं न तत्काल जबाब देना जरूरी है। किसी किसी प्रश्न का जबाब देने में तो पीढ़ियाँ लग जाती है।
खुछ प्रश्न सार्वकालिक होते हैं।
प्रश्न दागना एक कला है। सामने वाले के सामने प्रश्न को शान्ति से रख भर देना, फिर प्रतिक्रिया का इन्तजार, बस यही तो सीखना है।
प्रश्न पहचानना भी कला है। प्रश्नों का संभालना भी कला है। जाने कब किस प्रश्न का जबाब कहाँ मिल जाये।
सभी प्रश्नों का जबाब तत्काल न तो दिया जा सकता हैं न तत्काल जबाब देना जरूरी है। किसी किसी प्रश्न का जबाब देने में तो पीढ़ियाँ लग जाती है।
खुछ प्रश्न सार्वकालिक होते हैं।
No comments:
Post a Comment