Saturday, 14 September 2013

मेरे अस्तित्व को नकार नहीं सकोगे क्यों कि मैं बिना आधार के, बिना शरीर के भी  रहते आया हूँ। आगे भी रहूँगा।
हाँ, मेरे शरीर से तुम खेल सकते हो, उसे बन्दी बना सकते हो, झुका सकते हो, उसे पीड़ा भी दे सकते हो, तुमने यह सब कर कर देख भी लिया है पर मुझै न तो झूका सकते, न मोड़ सकते।
मैंने तुमसे जो कुछ भी लिया है, वह सब कुछ लौटा कर ही जाउँगा, निश्चिंत रहना।
मैं जैसा भी हूँ, पूरी तरह से तुम्हारे सामने हूँ- हर स्थिति में तुम्हारा सामना करूँगा।
मेरी चद्दर साफ है, रहेगी। मैं साफ हूँ ,रहूँगा। बस इतना ही।

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