कानून बनाये जाने के पहले उसकी अवधारणा को समाज के बीच फैलाना, समाज को उचित प्रकार से प्रशिक्षित करना परम आवश्यक है। समाज की सहमति प्राप्त कर बनाया गया कानून समाज को सहज स्वीकार्य होता है , ऐसे कानून का सामान्य अनुपालन सुनिश्चित करवाया जा सकता है । ऐसे कानूनों से भय ,शोषण तथा भ्रष्टाचार पैदा नहीं होता है।
बिना उचित सामाजिक प्रशिक्षण के बनाये गये कानून को लागू करना राज्य तथा समाज दोनों के लिये कष्टकारी होता है।
बिना उचित सामाजिक प्रशिक्षण के बनाये गये कानून को लागू करना राज्य तथा समाज दोनों के लिये कष्टकारी होता है।
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