Tuesday, 29 July 2014

शतरंज के माहिर खिलाडी तय करते हैं राज्य के तीनों अंगों की चाल --दस -बीस ,पचीस -पचास साल के अपने अपने हितों ,अपने आकाओं के हितों ,अपने पर किये उपकार, अपने आकाओं पर किये उपकार तथा अपनी भावी संतति -अपने आकाओं की भावी संतति सभी को ध्यान में रख कर ही चाल चली जाती है - ये सब चार पांच सौ ही हैं ,टोपी वाले ,वर्दी वाले ,काले कोट वाले ,खाकी वाले ,खादी वाले , पगड़ी वाले ,बांचने वाले ,लिखने वाले ,छापने वाले , टाई वाले ,तमंचे वाले ,मोंछ वाले,नाचने वाले ,गाने वाले ,कारखाना वाले ,अस्पताल वाले ,कालेज वाले ,खेलने वाले , खिलने वाले , छिपे हुए ,सामने से ,-- प्रत्येक ग्रुप में पांच सौ से अधिक नहीं ,और इस प्रकार लगभग तीस हजार लोग शतरंज खेलते रहते हैं - १३० करोड़ टुकुर टुकुर देखते है - वे खेलते हैं - हम रोटी -कपड़ा -मकान करते हैं -इसी में उलझे  हम .
वे मजे लेते हैं -शतरंज की चाल चलते हैं -सब कुछ इन्हीं तीसेक हजार के द्वार , तीसेक हजार के लिये तीसेक हजार का यह शतरंज .

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