निशिचिंत हैं भुवन में जो हैँ स्वतन्त्र या क़ि जौ हैँ समर्थ ,
मैं रह गया अभागा , जो न हुआ स्वतंत्र और न ही समर्थ।
जो मुर्ख रहे , वे उपर रहे , जो योगी हुए वे और ऊपर उठे
हम दुनिया में रहे, न मुर्ख रहे , न योगी हुए न ऊपर उठे।
मैं रह गया अभागा , जो न हुआ स्वतंत्र और न ही समर्थ।
जो मुर्ख रहे , वे उपर रहे , जो योगी हुए वे और ऊपर उठे
हम दुनिया में रहे, न मुर्ख रहे , न योगी हुए न ऊपर उठे।
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