Tuesday, 15 July 2014

दरवाजा छोटा था , कद बड़ा
 न कोई अंदर आ सका
न कोई बाहर आया।

 अटक गई बात यहीं।

खिड़की ऊँची थी , कद छोटा
  न कोई इधर  झाँका
न कोई उधर ताका

अटक गई बात यहीं।

झुका  कर या झुक कर
उचक कर  उचका कर
रास्ता निकल सकता था।

अटक गई बात यहीं।

आया , जाया जा सकता था
ताका -झाँका जा सकता था।
रास्ता निकल लेते तो।

बात अटकती नहीं। 

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