Saturday, 19 July 2014

आदमी आपस में  नाप तौल कर तो बोलता रहेगा नहीं , परिवार में व्यक्ति हर वक्त व्यवहार करने के पहले कोई तराजू बटखरे खोजता तो फिरेगा नहीं।
परिवार में हम -आप एक दूसरे के आकस्मिक व्यवहार , क्रिया , प्रतिक्रिया , भाव ,भावना और उनके उफान या उतार  या विस्फोट , आशा-निराशा के साक्षी और सहभागी होते हैं।  परिवार एक साथ होने का नाम है। 

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