ठूंठ सा पेड़ ,उदास सा पाखी
रुंध गया कंठ ,किसे बांधू राखी।
हर शाख पर पत्ते आने दो ,
हर पक्षी को झूम कर गाने दो
हर प्रयास को मंजिल पाने दो
हर साँस को जीवन हो जाने दो।
सपने सपने सी यह दुनियाँ
हर हाथ को सपने बुनने दो
अपनी अपनी सी यह दुनियाँ
हे सख्श को अपना चुनने दो।
चपल चंचल कलम सी दुनियाँ
हर राही को कलाम -राह जाने दो
रहे न अब कोई बचपन सूना
हर आँख में सपना मचलने दो।
हर शब्द को एक तो माने दो
हर कंठ को बस यूँ गाने दो
प्रकम्पन ऐसा प्रबल उठे अब
सब कुछ एकाकार हो जाने दो।
रुंध गया कंठ ,किसे बांधू राखी।
हर शाख पर पत्ते आने दो ,
हर पक्षी को झूम कर गाने दो
हर प्रयास को मंजिल पाने दो
हर साँस को जीवन हो जाने दो।
सपने सपने सी यह दुनियाँ
हर हाथ को सपने बुनने दो
अपनी अपनी सी यह दुनियाँ
हे सख्श को अपना चुनने दो।
चपल चंचल कलम सी दुनियाँ
हर राही को कलाम -राह जाने दो
रहे न अब कोई बचपन सूना
हर आँख में सपना मचलने दो।
हर शब्द को एक तो माने दो
हर कंठ को बस यूँ गाने दो
प्रकम्पन ऐसा प्रबल उठे अब
सब कुछ एकाकार हो जाने दो।
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