Friday, 21 February 2014

बस एक बार और

बस एक बार और
लहू को खौल जाने दॊ
जाने  कौन सा  लक्ष्य
अब भी अर्जुन की राह देखता हो।

राहें अनंत है,रहेंगी
एक एक कर ही चलना है
बस एक बार फिर चलो
जाने कौन सी राही राह देखता हो। .

बस एक बार फिर
बंशी को बज जाने दो
जाने किस राधा का मन
कहीं कान्हा की राह देखता हो। 

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