विवाद करना ,विवाद पैदा करना ,विवाद फैलाना यह एक बीमारी की तरह हर जगह पाया जाता है। बड़े महारथी मिल जायेंगें इस कला के पारंगत भी और पारखी भी।
पर विवाद समेटना सभी के बस की बात नहीं। विवाद समेटना एक पुरुषार्थ है ,समाज सेवा है।
विवादेन अलम।
पर विवाद समेटना सभी के बस की बात नहीं। विवाद समेटना एक पुरुषार्थ है ,समाज सेवा है।
विवादेन अलम।
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