Monday, 24 February 2014

उत्पादन प्रारम्भ होने की प्रक्रिया के प्रथम चरण से लेकर उसके अंतिम उपभोग के आखिरी स्वरुप तक राज्य की गिद्ध -दृष्टि  उससे अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त करने पर होती है।
वह भी मल्टी -लेयर्ड टैक्स सिस्टम ,मल्टी- टियर टैक्सिंग संस्था  तथा एक साथ टैक्स लेने में परस्पर प्रतियोगिता कर रहे एकाधिक राज्य -शक्ति आच्छादित राज्य नुमा संस्थान- सभी मिल कर उत्पादन प्रक्रिया को  ही हतोत्साहित करते प्रतीत होते हैं ।
वास्तविक उत्पादन के पूर्व कर  लेने या  संग्रह का आग्रह या प्रयास या कि विचार तक क्या राष्ट्रिय हित में हो सकता है।
उत्पादन एक प्रवृत्ति है , उत्पादकता एक स्वाभाव। इसका  स्तर पर संरक्षण किया जाना चाहिये। उत्पादन होता रहेगा तो उपभोग ,कर ,राजस्व स्वतः आ  जायेंगे। 

No comments:

Post a Comment