यदि आप केवल सज्ज्न है तो हाशिये में कहीं पड़े रहिये। सज्ज्न लोग अपने अधिकार तक के लिए निर्लज्ज भाव से न तो कुछ कर पाते हैं ,न लड़ पाते हैं। सज्ज्नता उन्हें संघर्ष पूरी ताकत से नहीं करने देती ,तब भी नहीं जब उनके साथ अन्याय हो रहा हो। संघर्ष करने के लिए थोडा सज्जनता का त्याग करना पड़ता है। थोडा किसी का साथ खोजना पड़ता है। आज सज्जन लोगो को विश्वास करने योग्य साथ नहीं मिल पाता। सभी अपनों का ही साथ देते हैं। बिना साथ लिए ,बिना साथ मिले सज्जन आदमी बेबस हो जाता है ,अन्याय को तो टुकुर टुकुर देखने के आलावा रह ही क्या जाता है। - कम सज्जन होना सभी के बस की बात नहीं।
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