बेघर,भूखे पेट ,नंग धड़ंग
बेगार करता रहा था मै
भूख की आग ने
और क्या क्या निगला
जान जाओगे तो शर्म आयेगी तुम्हे
इसलिये मुँह नहीं खोलूँगा मैं।
वह तो दरख्त था खड़ा
जो यह सब देख पिघलने लगा
बेवक्त उसकी पत्तियाँ पीली पड़ी
कुछ कच्चे -पके फल गिरे,
... पतली टहनियों ने सूखना शुरू किया
ऩंगे शरीर पर लज्जा का आवरण
हो सकता है अब आ ही जाये
भखे पेट को, भूख की आग को
हो सकता हे, समिधा मिल ही जाये।
जान जाओगे तो शर्म आयेगी तुम्हे
इसलिये मुँह नहीं खोलूँगा मैं।
पत्तियो से फाख्तों के ही घर नही बनते
मेरे जैसे इन्सान भी यहाँ पीढ़ियाँ गुजार देते हैं
ये पत्तियाँ केवल जानवरों की ही नहीं
मेरे जैसे इन्सान भी इन्हीं से पीढ़ियाँ पाल लेते हैं।
बेगार करता रहा था मै
भूख की आग ने
और क्या क्या निगला
जान जाओगे तो शर्म आयेगी तुम्हे
इसलिये मुँह नहीं खोलूँगा मैं।
वह तो दरख्त था खड़ा
जो यह सब देख पिघलने लगा
बेवक्त उसकी पत्तियाँ पीली पड़ी
कुछ कच्चे -पके फल गिरे,
... पतली टहनियों ने सूखना शुरू किया
ऩंगे शरीर पर लज्जा का आवरण
हो सकता है अब आ ही जाये
भखे पेट को, भूख की आग को
हो सकता हे, समिधा मिल ही जाये।
जान जाओगे तो शर्म आयेगी तुम्हे
इसलिये मुँह नहीं खोलूँगा मैं।
पत्तियो से फाख्तों के ही घर नही बनते
मेरे जैसे इन्सान भी यहाँ पीढ़ियाँ गुजार देते हैं
ये पत्तियाँ केवल जानवरों की ही नहीं
मेरे जैसे इन्सान भी इन्हीं से पीढ़ियाँ पाल लेते हैं।
जान जाओगे तो शर्म आयेगी तुम्हे
इसलिये मुँह नहीं खोलूँगा मैं।
क्यों नहीं मैं पाप करना सीख पाया
झूठ फरेब क्यों नहीं मुझे भाया
नंगापन मेरा अपना था,
भूख से पिचका पेट भी मेरा था
पत्तों से तन ढकता मै था
पत्ते खा , खिला जी देने वाला मै था
पर इन सब की तिजारत करना,
इनकी भी नुमाइश हो सकती है,
यह सब तो स्टडी मैटेरियल हे
य़ह सब क्यों नहीं जान पाया मैं।
इसलिये मुँह नहीं खोलूँगा मैं।
क्यों नहीं मैं पाप करना सीख पाया
झूठ फरेब क्यों नहीं मुझे भाया
नंगापन मेरा अपना था,
भूख से पिचका पेट भी मेरा था
पत्तों से तन ढकता मै था
पत्ते खा , खिला जी देने वाला मै था
पर इन सब की तिजारत करना,
इनकी भी नुमाइश हो सकती है,
यह सब तो स्टडी मैटेरियल हे
य़ह सब क्यों नहीं जान पाया मैं।
जान जाओगे तो शर्म आयेगी तुम्हे
इसलिये मुँह नहीं खोलूँगा मैं।
या कि तुम्ही हो इन सबके के सुत्रधार
न जनाया, न जानने दिया
केवल मुझसे खेला
नचाया खूब मुझे
फोटू भी खुब खैची गई
शैलानी गाडियोँ में लाये गये थे
बस मै मजबूरियों को झेलता रहा
तुम मैरे नंगे पन की बेशर्म नुमाइश करते रहे।
इसलिये मुँह नहीं खोलूँगा मैं।
या कि तुम्ही हो इन सबके के सुत्रधार
न जनाया, न जानने दिया
केवल मुझसे खेला
नचाया खूब मुझे
फोटू भी खुब खैची गई
शैलानी गाडियोँ में लाये गये थे
बस मै मजबूरियों को झेलता रहा
तुम मैरे नंगे पन की बेशर्म नुमाइश करते रहे।
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