Judicial discussion by R . K . Rateria
Monday, 22 April 2013
आश हो,
प्रयास हो,
भोर होते का प्रकाश हो,
अरुण का विकाश हो,
पूर्णिमा का आभाष हो
, जो भी हो अनायास हो,
क्षिति-जल आकाश हो,
बुभूक्षू का प्रथंम ग्रास हो,
वैभव का विलाश हो,
न होना हताश,
न कभी निराश,
तुम तो मेरे विश्वास हो,
तुम तो मेरे विश्वास हो
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