Thursday, 18 April 2013

बेईमानगिरी भी एक फ़न है
हरफ़नमौला उससै परहेज नही किया करते

पर फ़किरों की अपनी मौज है
परहेज़गारों के लिये हर फन जरूरी तो नहीं
...
भूखे को भूख लगी तो है
प्यासे को भी लगी है प्यास

पर फकिरों की भूख मिटे नहीं
हर प्यास बुझ ही जाये, जरूरी तो नहीं

हर तरफ जलवा बिखरा है
हर आँख देखती कुछ और

पर चश्मा ही जब बदल जाये तो
मुझे भी वही दिखे, यह जरूरी तो नहीं

बेईमानगिरी भी एक फ़न है
हर फ़न मेरे लिये जरूरी तो नहीं

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